Saturday, September 19, 2009

कल कौन रोया और को हंसा ???...

ना पून्छो की कल कौन रोया और कौन हँसा???
क्योंकि शायद मैं भी दोनो का हिस्सा था...
जो रोया वो सहमा था ..
जो हँसा वो मदहोश था ...
और जिसने सोचा इस बारे मैं ..
वो दुनिया के लिए बेकार था...
कहते हैं हम इंसान हैं ..
पर इनका भगवान कहाँ हैं..
समझो ये जिंदगी के दो रूप हैं..
सिक्के के दो पहलू..हैं
पर इनको घुमाया क्यों...
बस यूँ ही ना जाने क्यों
फिर सोचता हूँ की
कल कौन रोया और कौन हँसा
यार शायद सब पड़ने और सुनने वाले ..
इंसान हैं इसलिए फिर सोचता हूँ..
की कल कौन रोया और कौन हँसा????

गली गली घूमता हूँ....

गली गली घूमता हूँ..
अपना शहर को खोजता हूँ..
दुनिया के भीड़ मैं अपनी ..
पहचान खोजता हूँ…
खुद रोज शीशे के सामने खड़े ..
होकर मैं कौन हून ???..
इसका जबाब लोगो की आँखों मैं खोजता हूँ..
गली गली ….
अब हर रिश्ते नया रंग ले चुके हैं..
मा की झप्पी ..
पता नहीं किसी की तलाश मैं खो गयी..
बापू के पके बॉल ..
अपने आप मुझसे कुछ बोल रहे ..
हर रिश्ता मुझमे कुछ खोज रहा..
शायद जमाने के दस्तूर ..
को शांत मान से गुनगुना राहा ..
इसलिए अब..
गली .. गली…
हर रात अपने को अलग तस्वीर मैं..
सोचता हून..
कल क्या होगा.. क्या करना है ..
यह सोचकर सोता हूँ..
अपनी आवाज़ की उचाईं और
कलाम की कीमत बड़ाने की सोचता हूँ..
भीड़ मैं अपनी पहचान खोजता हूँ …
हर जगह मैं अपनी आवाज़ खोजता हूँ
..
गली . गली…

हर आवाज़ अब पुरानी लगती है ..
हर चेहरा देखा महसूस होता है..
खाने में अब वो स्वाद कहाँ ..
दोस्तों की बातों अब वो मिठास कहाँ ..
वो मीठी और मदूर आवाज़ को सोचता हूँ..
नये रिश्ते में खो जाता हूँ ..
नया चेहरा .. मेरा जीवन साथी..
मेरी अर्धांगिनी. कैसी होगी ये सोचता हूँ…..
गली गली घूमता हूँ ..
अपने शहर को खोजता हूँ..

अधूरा प्यार...

ये दास्तान है हमारे अधूरे प्यार की ...
बगैर संग आपके साथ की..
शायद धरती और आसमान की....
शरीर संग परछाईं की...
करते थे तब भी आपको प्यार..
करते हैं आज भी सिर्फ़ आपको ही प्यार...
क्योंकि आधी रात..
सुबह की साँस..
दिल की शिसक और
दिमाग़ की सिकान मैं सिर्फ़ एक ही अहसास...
की कब होगी तुम हमारे पास...
सांझ के हर संगीत मैं बस एक ही राग...
दिन की तपिश मैं बस एक ही प्यास..
की कब होगी तुम हमारे पास...
उन बीतें लम्हो की आज ना.
जाने कहाँ से आई है याद ..
इसलिए किस्सा याद कर ..
आँखे हुई नाम हैं..
हुई नम हैं..हुई नम हैं
....... हुई नम हैं हुई नम हैं
ये दास्तान है हमारे अधूरे प्यार की .....

जन्मदिन मुबारक हो....

ना वाणी का बचन है ..
ना उपहारों का संग है..
ये शब्दों और अक्षरों का
आपके अभिनंदन का प्रसंग है..
आज जन्मदिन आपका देता हूँ मुबारकबाद ..
रहे चेहरे परआपके हमेशा मुस्कान ..
ना हो पाए माथे की सिकान से मुलाकात ..
ये दिन गिने आप जीवन में अनंतबार ..
आज जन्मदिन आपका देता हून मुबारकबाद ..
ना रिश्तों का बंधन है .
ना पहचान का संगम ..
बस मानव मूल्यों की पवित्रता का
यह अध्ययन है..
इसलिए ये शब्दों और अक्षरों का ..
आपके अभिनंदन का प्रसंग है..
आज जन्मदिन आपका देता हूँ मुबारकबाद

आँसू

आँसू है जो ये जीवन के .
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं ..
कभी पालने की बोली थे ये .
फिर बचपन की हट ..
आँसू है जो ये जीवन के .
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं
मिलते बिछुड़ते लोगों का संगम हैं ये.
खुशियों और कष्टों का पहला संग हैं. ये.
जीवन् की हर उथल पुथल का अंग हैं ये .
जीवन के हर अंश के सप्तरंग हैं ये..
आँसू है जो ये जीवन के .
गुज़रते बीतते वक़्त के गीले रंग हैं ..

ना जाने वो कौन है...

ना जाने वो कौन है..
ना जाने वो कहाँ है..
वो मेरे अक्षरों की आवाज़
मेरी कविता की कहानी..
ना जाने वो कहाँ है..
मैं हर वक़्त उससे अंजाने मैं ही मिलता हूँ..
हर पन्ने पे उसी की कहानी लिखता हूँ..
फिर भी वो मेरे करीब नहीं..
ये सवाल की वो कौन मेरा नहीं ..
ये है मुझे सुनने वालों की एक शरारती हँसी ,,
की वो कौन है..
मैं नहीं जानता वो कौन..
पर फिर भी ..जो भी है..
जहाँ भी हो..
वही पंक्तियों की प्रेरणा ..
मेरे शब्दों की संवेदना ..
मेरी हर रचना उसी का अहसास ..
मेरा दिल उस अनोखी अंज़ान
गुमशुदा की तलाश मैं नहीं ..
बस उसके दिल के हर लम्हे को
शब्दो की आवाज़ मैं पेश करने का प्रयास ..
उसी यादों मैं जीता हूँ ..
उसी को लिखता हूँ..
वो जो भी है....
हमेशा मेरे करीब है.. ..
वो हमेशा अंज़ान थी ,और है.
फिर भी उसका दिल और उसकी आवाज़ मेरे
कविता और शब्दों के करीब है,,,
ना जाने वो कौन है..
ना जाने वो कहाँ है..
वो मेरी अक्षरों की आवाज़
मेरी कविता की कहानी..
ना जाने वो कहाँ है..

बस अकेला ही चला था ...

धूआ है शमा मैं खफा हून इस जहाँ मैं ,
शायद बादल है आज आसमान मैं .
इसलिए अकेला हूँ इस जहाँ मैं ,,
बस अकेला ही चला था और आज भी अकेला ही हूँ ,
लेजिन सोचता हूँ , कभी तो चमकेगें वतन के सितारे
मेरे लिए कभी तो अमन हमारे लिए..
लेकिन फिर भी आज तो अकेला ही हूँ...
क्योंकि..शायद आज बदल है आज आसमान मैं ...
इसलिए अकेला हूँ इस जहाँ मैं