Saturday, September 19, 2009

बस अकेला ही चला था ...

धूआ है शमा मैं खफा हून इस जहाँ मैं ,
शायद बादल है आज आसमान मैं .
इसलिए अकेला हूँ इस जहाँ मैं ,,
बस अकेला ही चला था और आज भी अकेला ही हूँ ,
लेजिन सोचता हूँ , कभी तो चमकेगें वतन के सितारे
मेरे लिए कभी तो अमन हमारे लिए..
लेकिन फिर भी आज तो अकेला ही हूँ...
क्योंकि..शायद आज बदल है आज आसमान मैं ...
इसलिए अकेला हूँ इस जहाँ मैं

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