Saturday, September 19, 2009

ना जाने वो कौन है...

ना जाने वो कौन है..
ना जाने वो कहाँ है..
वो मेरे अक्षरों की आवाज़
मेरी कविता की कहानी..
ना जाने वो कहाँ है..
मैं हर वक़्त उससे अंजाने मैं ही मिलता हूँ..
हर पन्ने पे उसी की कहानी लिखता हूँ..
फिर भी वो मेरे करीब नहीं..
ये सवाल की वो कौन मेरा नहीं ..
ये है मुझे सुनने वालों की एक शरारती हँसी ,,
की वो कौन है..
मैं नहीं जानता वो कौन..
पर फिर भी ..जो भी है..
जहाँ भी हो..
वही पंक्तियों की प्रेरणा ..
मेरे शब्दों की संवेदना ..
मेरी हर रचना उसी का अहसास ..
मेरा दिल उस अनोखी अंज़ान
गुमशुदा की तलाश मैं नहीं ..
बस उसके दिल के हर लम्हे को
शब्दो की आवाज़ मैं पेश करने का प्रयास ..
उसी यादों मैं जीता हूँ ..
उसी को लिखता हूँ..
वो जो भी है....
हमेशा मेरे करीब है.. ..
वो हमेशा अंज़ान थी ,और है.
फिर भी उसका दिल और उसकी आवाज़ मेरे
कविता और शब्दों के करीब है,,,
ना जाने वो कौन है..
ना जाने वो कहाँ है..
वो मेरी अक्षरों की आवाज़
मेरी कविता की कहानी..
ना जाने वो कहाँ है..

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