नन्ही परी
बस यून ही अचानक एक दिन
एक नन्ही पारी से मुलाकात हो गयी ..
वो कुछ घबराई शायद गुस्से मैं वो रहती थी ..
और आँखो के रूखेपण से दुनिया से
सदा सवाल पूंचछति थी …
बस यून ही अचानक एक दिन
एक नन्ही पारी से मुलाकात हो गयी .
मैं ना जाने कहा से उसकी ..
दुनिया मैं आया था .
फिर बिन सोच समझकर उसने ..
मुझसे उसने आँखो का काजल माँगा था ..
उसके घावों को देखकर .
खुद और इंसानियत पर शर्मसार था ..
छोड़ जमाने को मैने उसको समझाया था ..
अपने नाख़ून नॉचकर उंगलियों से उसे काजल .
लगाया था ..
बस यून ही अचानक एक दिन
एक नन्ही पारी से मुलाकात हो गयी .
बीतते वक़्त मैं उसकी अपने आप से .
पहचान हो चली ..
शायद अब अपनी चमक वो जान गयी..
अब सूरज और चाँद छोड़ वो तारों से
बात करती है..
वो आज सुन्दर और सजीव है ..
वो नन्ही पारी मेरी परियों की
रानी है ..
बस यून ही अचनका एक दिन .
एक नन्ही पारी से मुलाकात हो गयी
वो आज भी सुन्दर और सजीव है ..
वो नन्ही पारी मेरी परियों की
रानी है ..
Friday, September 18, 2009
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इस जगत में आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteनवरात्र की मंगल कामनाएँ.
ReplyDeleteआपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.
एक निवेदन:
कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी देने में सहूलियत हो. मात्र एक निवेदन है बाकि आपकी इच्छा.
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं.........
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं....
स्वागत है, लिखते रहिए।
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteअच्छी रचना
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