ये दास्तान है हमारे अधूरे प्यार की ...
बगैर संग आपके साथ की..
शायद धरती और आसमान की....
शरीर संग परछाईं की...
करते थे तब भी आपको प्यार..
करते हैं आज भी सिर्फ़ आपको ही प्यार...
क्योंकि आधी रात..
सुबह की साँस..
दिल की शिसक और
दिमाग़ की सिकान मैं सिर्फ़ एक ही अहसास...
की कब होगी तुम हमारे पास...
सांझ के हर संगीत मैं बस एक ही राग...
दिन की तपिश मैं बस एक ही प्यास..
की कब होगी तुम हमारे पास...
उन बीतें लम्हो की आज ना.
जाने कहाँ से आई है याद ..
इसलिए किस्सा याद कर ..
आँखे हुई नाम हैं..
हुई नम हैं..हुई नम हैं
....... हुई नम हैं हुई नम हैं
ये दास्तान है हमारे अधूरे प्यार की .....
Saturday, September 19, 2009
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