ना पून्छो की कल कौन रोया और कौन हँसा???
क्योंकि शायद मैं भी दोनो का हिस्सा था...
जो रोया वो सहमा था ..
जो हँसा वो मदहोश था ...
और जिसने सोचा इस बारे मैं ..
वो दुनिया के लिए बेकार था...
कहते हैं हम इंसान हैं ..
पर इनका भगवान कहाँ हैं..
समझो ये जिंदगी के दो रूप हैं..
सिक्के के दो पहलू..हैं
पर इनको घुमाया क्यों...
बस यूँ ही ना जाने क्यों
फिर सोचता हूँ की
कल कौन रोया और कौन हँसा
यार शायद सब पड़ने और सुनने वाले ..
इंसान हैं इसलिए फिर सोचता हूँ..
की कल कौन रोया और कौन हँसा????
Saturday, September 19, 2009
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